नई दिल्ली, SAEDNEWS : डीआरडीओ और एनटीआरओ की मदद से इस सर्विलांस-वैसल को विशाखापट्टनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया है। इसे ओसयिन सर्विलांस वैसल का नाम दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, हिंदुस्तान शिपयार्ड ने इस बेहद ही खास युद्धपोत को देश की स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) को सौंप दिया है। माना जा रहा है कि पिछले साल अक्टूबर में शिपयार्ड ने इसे एसएफसी को सौंप दिया था। ये वो समय था जब भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर टकराव चल रहा था।
परमाणु मिसाइल के एक्टिवेट होने पर जारी करता है अलर्ट
इस ओसियन सर्विलांस वैसल को हिंदुस्तान शिपर्याड ने साल 2014 में बनाना शुरू किया था। इसे शिपयार्ड ने 'वीसी11184' नाम दिया था और इसे बनाने का मकसद समंदर में दुश्मन की न्युक्लिर मिसाइलों को ट्रेक करना था। जैसे ही दुश्मन देश समंदर में परमाणु मिसाइल को एक्टिवेट करता है तो ये युद्धपोत तुरंत अलर्ट जारी कर सकता है।
युद्धपोत को तैयार करने वाला भारत दुनिया का पांचवा देश
इस युद्धपोत को तैयार करने वाला भारत दुनिया का पांचवा देश है। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के जंगी बेड़े में इस तरह का सर्विलांस युद्धपोत है. हालांकि, ये एक क्लासीफाइड प्रोजेक्ट है और सीधे एसएफसी के अंतर्गत आता है इसीलिए इस युद्धपोत के बारे में बेहद कम ही जानकारी मौजूद है और ना ही इस पर सरकार और रक्षा-क्षेत्र से जुड़े अधिकारी बात करते हैं।
सीधे प्रधानमंत्री कार्यलाय के अधीन आता है एसएफसी कमान
गौरतलब है कि एसएफसी कमान सीधे प्रधानमंत्री कार्यलाय (पीएमओ) के अधीन है और इसमें सेना के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के सैन्य अधिकारी शामिल होते हैं। लेकिन पहली बार ओसियन सर्विलांस वैसल में एनटीआरओ यानि नेशनल टेक्नोलोजी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के टेक्निकल-अधिकारी भी तैनात रहेंगे। बेहद गोपनीय जहाज होने के चलते ही इसके एसएफसी में शामिल होने का कोई विधिवत आयोजन नहीं किया गया।
सार्वजनिक जानकारी के मुताबिक, वीसी11184 करीब 175 मीटर लंबा है और इसका वजन करीब 1500 टन है। इस पर एक हेलीकॉप्टर भी तैनात रहेगा। जहाज पर नौसेना के 300 अधिकारी और नौसैनिक तैनात रहेंगे। जहाज में खास आएसा रडार, सेंसर और एंटीना लगे हैं। (स्रोत: abplive)