कर्नाटक, SAEDNEWS २४ अक्टूबर २०२० : फेफड़ों का इतना बुरा हाल होने के बाद मरीज की मौत हो गई. हैरान करने वाली बात ये है कि मरीज की मौत के 18 घंटे बाद भी उसकी नाक और गले में वायरस एक्टिव था. यानी संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद भी शव के संपर्क में आने से दूसरे लोग बीमार पड़ सकते थे. ऑक्सफोर्ड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर दिनेश राव ने बताया कि इस मरीज के फेफड़े कोरोना के कारण किसी लैदर की बॉल जैसे सख्त हो चुके थे. फेफड़ों में हवा भरने वाला हिस्सा खराब हो चुका था और कोशिकाओं में खून के थक्के बन चुके थे. शव की जांच से कोविड-१९ की प्रोग्रेशन को समझने में भी मदद मिली है.
रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. राव ने शव की नाक, मुंह-गला, फेफड़ों के सरफेस, रेस्पिरेटरी पैसेज और चेहरे व गले की स्किन से पांच तरह के स्वैब सैम्पल लिए थे. RTPCR टेस्ट से पता चला कि गले और नाक वाला सैम्पल कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव था. इसका मतलब हुआ कि कोरोना मरीज का शव दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है. हालांकि स्किन से लिए गए सैम्पल की रिपोर्ट नेगिटिव आई.
कोरोना से मरने वाले इस मरीज के शव की जांच परिवार की सहमति से ही की गई थी. जब मरीज की मौत हुई तो उसके परिवार वाले या तो होम आइसोलेशन (Home isolation) में चले गए या क्वारनटीन (Quarantine) हो गए. वे डेड बॉडी के लिए दावा भी नहीं कर सकते थे.
डॉ राव ने कहा कि शव की जांच के बाद तैयार हुई मेरी यह रिपोर्ट अमेरिका और ब्रिटेन में दर्ज हुई रिपोर्ट्स से काफी अलग है. इसका मतलब हो सकता है कि भारत में देखे जाने वाले वायरस (Corona virus) की नस्ल दूसरे देशों से अलग है.