यरुशलम का पैट्रिआर्क उमर के आसपास दिखा रहा था चर्च ऑफ़ द होली सेपुलचर जिसके दौरान सलाहा का समय था। पैट्रिआर्क ने उसके लिए चर्च में प्रार्थना करने के लिए एक जगह की पेशकश की, लेकिन उमर ने इनकार कर दिया, उसने पैट्रिआर्क को समझाते हुए कहा, "क्या मैंने चर्च के अंदर प्रार्थना की थी, मेरे बाद आने वाले मुसलमान इस पर कब्जा कर लेंगे, यह कहते हुए कि मैंने इसमें प्रार्थना की थी।" परंपरा यह है कि उसने एक पत्थर उठाया, उसे बाहर फेंक दिया और जिस स्थान पर वह गिरा वहां प्रार्थना की। उमर की वर्तमान मस्जिद (या मस्जिद-ए-उमर) इस जगह पर 1193 ईस्वी में सलाहुद्दीन अय्यूबी के बेटे अफदल अली द्वारा बनाई गई थी। जिस समय मुसलमानों ने पहली बार जेरूसलम पर विजय प्राप्त की, उस समय यहूदियों पर येरुशलम और आसपास के इलाकों में ईसाई शासकों द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था। उमर सोफ़रोनियस (यरुशलम के संरक्षक) से सहमत थे कि यहूदियों को निवास करने की अनुमति नहीं दी जाएगी लेकिन बाद में इस व्यवस्था को रद्द कर दिया। उमर ने तिबेरियास से 70 यहूदी परिवारों को यरूशलेम में बसने के लिए आमंत्रित किया, जिससे उन्हें एक आराधनालय बनाने की भी अनुमति मिली। उमर ने तिबेरियास से 70 यहूदी परिवारों को यरूशलेम में बसने के लिए आमंत्रित किया, जिससे उन्हें एक आराधनालय बनाने की भी अनुमति मिली। पैगंबर के कई प्रख्यात साथी भी यरूशलेम में बसे थे, जो शहर की पवित्रता द्वारा खींचे आये थे। उबादा-बिन-समित, कुरान के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक, यरूशलेम का पहला क़ाजी (इस्लामी न्यायाधीश) बन गया। (स्रोत: इस्लामिक लैंडमार्क)