दरअसल, पर्यटकों द्वारा इसकी तस्वीरें शेयर किए जाने के बाद इस नदी की सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी. लोग जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिर यह नदी कौन सी है. ये नदी भारत- बांग्लादेश सीमा के पास एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा प्राप्त गांव मॉयलननोंग से गुजरती है और बांग्लादेश में बहने से पहले ये जयन्तिया और खासी हिल्स के बीच से गुजरती है.
तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि ये नदी इतनी साफ है कि नाव को एकदम साफ-साफ पानी के ऊपर तैरता हुआ देखा जा सकता है. साथ ही नदी के अंदर पाए जाने वाले पेबल और स्टोन्स को भी देखा जा सकता है.
2003 में मॉयलननोंग को गोड्स ऑन गार्डन का दर्जा मिला था. यहां नदी की साफ सफाई के अलावा एक और चीज सबका ध्यान आकर्षित करती है वो है कि यहां पर 100 प्रतिशत साक्षरता है.
यहां पक्षियों की चहचहाहट के साथ नदी में पड़ती सूरज की किरणें बेहद सुकून देने वाली होती हैं और एक प्राकृतिक वातावरण का एहसास दिलाती है. यहां इतना अच्छा माहौल रहता है कि पानी की आवाज को आराम से सुना जा सकता है. नवम्बर से अप्रैल तक का मौसम यहां घूमने के लिए सबसे उचित है.
दिलचस्प बात ये है कि इस नदी में बड़ी संख्या में मछलियां भी पाई जाती हैं. सर्दियों में यह और भी सुंदर और साफ हो जाती है, यहां आने वाले सभी पर्यटकों से कहा जाता है कि वे किसी भी तरह की गंदगी न फैलाएं, अगर ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
इंडिया ट्रैवल लाइफ के इंस्टग्राम पेज पर हाल ही में एक वीडियो के जरिए इस डौकी नदी की खूबसूरती को बयां किया गया है. उसमें बताया गया है कि यह जगह थाईलैंड या बाली नहीं बल्कि भारत की खूबसूरती है, ये मेघालय है और ये यहां की नदी है. (स्रोत: आजतक)
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