आयुर्वेदीय उपचार द्वारा वात और कफ दोषों को सन्तुलित किया जाता है। अच्छी बात तो यह है कि आप थायरॉइड का घरेलू उपचार भी कर सकते हैं। एलोपैथिक चिकित्सा में थॉयराइड विकार के लिये स्टीरॉइड्स का सेवन कराया जाता है, जो हानिकारक होता है। इसलिए थायराइड को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे अच्छा माना जाता है।
यह द्विपिंडक रचना हमारे गले में स्वरयंत्र के नीचे Cricoid Cartilage के लगभग समान स्तर पर स्थित होती है। शरीर की चयापचय क्रिया में थायरॉइड ग्रंथि का विशेष योगदान होता है।
यह Thyroid ग्रन्थि Tri–iodothyronin (T3) और Thyrocalcitonin नामक हार्मोन स्रावित करती है। ये हार्मोन शरीर के चयापचय दर और अन्य विकास तंत्रों को प्रभावित करते हैं। Thyroid harmone हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है।
- थायरोक्सिन (Thyroxine) हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है।
- यह रक्त में चीनी, कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) तथा फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
- यह हड्डियों, पेशियों, लैंगिक तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
- हृदयगति एवं रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
- महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है।
थायरॉइड रोग के प्रकार (Thyroid Types in Hindi)
थायरॉइड ग्रंथि विकार दो प्रकार के होते हैं-
- थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता (Hyperthyrodism)
- अल्पसक्रियता (Hypothyrodism)
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता (Hyperthyrodism)
थायरॉइड ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण T4 और T3 harmone का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने लगता है। जब इन हार्मोन्स का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है तो शरीर ऊर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगता है। इसे ही हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) कहते हैं। पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है। इसकी पहचान के ये लक्षणों हैंः-
- थायरॉइड हार्मोन (Thyroid harmone) की अधिकता के कारण शरीर में चयापचय यानी मेटाबोलिज्म (Metabolis) बढ़ जाता है, और हर काम तेजी से होने लगता है।
- घबराहट
- चिड़चिड़ापन
- अधिक पसीना आना।
- हाथों का काँपना।
- बालों का पतला होना एवं झड़ना।
- अनिद्रा (नींद ना आने की परेशानी)
- मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना।
- दिल की धड़कन बढ़ना।
- बहुत भूख लगने के बाद भी वजन घटता है।
- महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता देखी जाती है।
- ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) हो जाता है, जिसकी वजह से हड्डी में कैल्शियम (Calcium) तेजी से खत्म होता है।
अल्पसक्रियता (Hypothyrodism)
थायराइड की अल्प सक्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) हो जाता है। इसकी पहचान इन परेशानियों से की जा सकती हैः-
- धड़कन की धीमी गति।
- हमेशा थकान बना रहना।
- अवसाद (Depression)
- सर्दी के प्रति अधिक संवेदनशील होना।
- मेटाबोलिज्म धीमा पड़ने के कारण वजन बढ़ना।
- नाखूनों का पतला होना एवं टूटना।
- पसीने में कमी।
- त्वचा में सूखापन आना और खुजली होना।
- जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न होना।
- बालों का अधिक झड़ना।
- कब्ज
- आँखों में सूजन।
- बार-बार भूलना।
- कन्फ्यूज रहना, सोचने-समझने में असमर्थ होना।
- मासिक धर्म में अनियमितता होना। 28 दिन की साइकिल का 40 दिन या इससे अधिक दिन का होना।
- चेहरे और आँखों में सूजन।
- खून में कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) का स्तर बढ़ जाना।
- महिलाओं में इसके कारण बांझपन आ सकता है।
थायरॉइड रोग होने के कारण (Thyroid Causes in Hindi)
थायरॉइड होने के ये कारण हो सकते हैंः-
- अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थायरॉइड हार्मोन (Thyroid harmone) की सक्रियता पर असर पड़ता है।
- आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथियाँ विशेष रूप से प्रभावित होती हैं।
- यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो, तो परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है।
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है, क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं।
- भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण।
थायरॉइड होने के अन्य कारण (Other Causes of Thyroid)
इन रोगों के कारण भी थायरॉइड की बीमारी हो सकती हैः-
हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease)
यह रोग थायरॉइड ग्रंथि के किसी एक भाग को निक्रिय बना देता है।
थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (Thyroiditis)
यह थायरॉइड ग्रंथि में सूजन आने के कारण होता है। शुरुआत में इसमें थाइरॉइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है, और बाद में इसमें कमी आ जाती है। इस कारण हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो जाता है। कईं बार यह महिलाओं में गर्भावस्था के बाद देखा जाता है।
आयोडीन की कमी
आहार में आयोडिन की कमी के कारण हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो जाता है, इसलिए आयोडिन युक्त नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
ग्रेव्स रोग (Graves–disease)
ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स (Antibodies) का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। यह अनुवांशिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।
गण्डमाला रोग (Goitre)
यह बीमारी घेंघा रोग के कारण भी हो सकती है।
विटामिन बी12 (Vitamin B12)
विटामिन बी12 के कारण भी हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो सकता है।
मुलेठी से थायरॉइड का इलाज (Mulethi [liquorice]: Home Remedies for Thyroid Treatment )
मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स (Thyroid Cancer Cells) को बढ़ने से रोकता है।
रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। इसकी पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।
थायरॉइड का घरेलू उपचार तुलसी से (Tulsi: Home Remedies to Treat Thyroid)
दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिला कर सेवन करें। इससे थायरॉइड रोग ठीक होता है।
थायरॉइड का घरेलू इलाज हरा धनिया से (Dhaniya: Home Remedy for Thyroid Treatment )
हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे थायरॉइड रोग से आराम मिलेगा।
त्रिफला चूर्ण से थायरॉइड से लाभ (Triphala [Amalaki (Phyllanthus emblica), Bibhitaki (Terminalia bellirica), and Haritaki (Terminalia chebula)] : Home Remedies to Thyroid Treatment )
प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।
हल्दी और दूध से थायरॉइड की बीमारी का इलाज (Turmeric and Milk: Home Remedies for Thyroid Treatment )
प्रतिदिन दूध में हल्दी पका कर पीने से भी थायराइड के उपचार में लाभदायक है।
लौकी के उपयोग से थायरॉइड में फायदा (Bottle Gourd: Home Remedy to Treat Thyroid Disease )
खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायराइड रोग में उत्तम काम करता है। यह रोग को शांत करता है।
काली मिर्च के सेवन से थायरॉइड का उपचार (Black Pepper: Home Remedy for Thyroid Treatment )
थायराइड के घरेलू उपचार में नियमित रूप से भोजन में थोड़ी मात्रा में काली मिर्च का सेवन करें।
थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है अलसी का चूर्ण (Benefits of Flaxseed Powder for Thyroid )
अलसी के चूर्ण का उपयोग थायरॉइड की समस्या में आराम पहुंचाता है क्योंकि अलसी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 पाया जाता है। ओमेगा-3 थायरॉइड के कार्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए थायरॉइड के रोगियों को नियमित रूप से अलसी के चूर्ण का उपयोग करना चाहिए। (Source : 1mg)