नई दिल्ली, SAEDNEWS : समिति ने हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों और बर्फीले तूफानों की वास्तविक आधार पर गहन निगरानी करने एवं चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की जरूरत बताई है।
2500 मीटर नीचे खिसक आया था हिमखंड
संसद में इसी माह पेश जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋृषि गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में ग्लेशियर पर बर्फीले तूफान आने एवं हिमस्खलन के कारण नदी की धारा में भारी बाढ़ आने से हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर की गहन निगरानी की जरूरत महसूस हुई है। उत्तराखंड में हिमखंड टूटने के कारण आई विकराल बाढ़ के बारे में केंद्रीय जल आयोग ने 23 फरवरी 2021 को समिति को बताया कि उत्तराखंड में सात फरवरी को ग्लेशियर पर हिमस्खलन हुआ था। उस ग्लेशियर की ऊंचाई लगभग 5500 मीटर थी। यह हिमखंड 2500 मीटर नीचे की ओर खिसक गया था। इसके कारण सात फरवरी को यह घटना घटी जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ।
नहीं थी कोई निगरानी प्रणाली
समिति ने कहा कि उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ है कि त्रासदी का पूर्वानुमान लगाने के लिये कोई प्रणाली नहीं थी और जल संसाधन विभाग का निगरानी केंद्र जोशीमठ में था। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वे उन क्षेत्रों में और निगरानी तंत्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।
ताकि न हो त्रासदी की पुनरावृत्ति
रिपोर्ट के अनुसार, ‘समिति विभाग से आग्रह करती है कि इस दिशा में सक्रिय रूप से कदम उठाये और पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील इन क्षेत्रों में तकनीकी एवं वित्तीय दोनों संसाधन तैनात करें। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि इन क्षेत्रों में कई बड़े बांध और जल विद्युत परियोजनाएं हैं और 7 फरवरी जैसी त्रासदी पुन: होती है तब इससे भारी तबाही होगी एवं इस क्षेत्र की भू-जलवायु परिस्थिति पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’ हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर की निगरानी की जरूरत को रेखांकित करते हुए समिति ने कहा कि वह चाहती है कि ग्लेशियरों एवं बर्फीले तूफानों की निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिये उठाए जा रहे कदमों के बारे में उसे बताया जाए।
भारत में 477 हिमनद झीलें
ग्लेशियर झीलों की निगरानी की योजना में बारे में समिति को विभाग ने बताया कि भारत में 50 हेक्टेयर से अधिक आकार की 477 हिमनद झीलें हैं। अब तक हम इन 477 झीलों की निगरानी कर रहे हैं। यदि उनके आकार में कोई असामान्य वृद्धि हुई है तब उसके बारे में चेतावनी दे रहे हैं। इनके अलावा लगभग 2038 झीलें 10 हेक्टेयर की हैं। अब हम उन सभी 2038 झीलों की निगरानी करने की योजना बना रहे हैं। भविष्य में हम उन झीलों पर भी नजर रखेंगे। (स्रोत: amarujala)